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चार दिन की चांदनी थी
फिर अँधेरी रात हो गई
बापूजी आपकी शांति
आज कहा खो गई
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आजादी की एकता देखो
अब कहा सो गई
देसप्रेम की भावना
ढूँढो,परदेसी हो गई
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“सत्य”को छोड़ हाईटेक
“ग्रह”चक्कर में पड गए
कुर्सी के मोह में नेता
“सत्याग्रह”कर रहे
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अहिंसा की देखो राहे ना रही
हत्या,आतंक,भ्रष्टाचार
की ही अब मंजिले बन रही
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आपने जिन्हें भारत छोड़ो कहा
हमारा नेता उसे फिर बुला रहा
स्वदेशी के चोलो में विदेशी घूम रहे
पश्चिम में खोते देश को बचाने
बापूजी आपको हिन्दुस्तानी ढून्ढ रहे
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अब हर हिन्दुस्तानी कहे
ना दोहराना फिर वही कहानी
वरना गुलामी से निकल ना पाएंगे
गर ना मिली बापू की वो जोशे रवानी
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उठो चलो हिन्दुस्तानी
गरीबी,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार दूर करो
बनो एकता,अमन-शांति की निशानी
फिर कहलाये सोने की चिड़िया पुरानी
———–जय हिंद
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