Menu
blogid : 368 postid : 581509

सपनो की आजादी

हम हिन्दुस्तानी
हम हिन्दुस्तानी
  • 44 Posts
  • 110 Comments

सिग्नल पर वो घूम रही थी
तिरंगा लेकर दौड़ रही थी
नन्ही सी वो बोल रही थी
आजादी आई, आजादी आई
दस रूपये में आजादी, ले लो मेरे भाई
मैंने उसे बुलाया,दस का नोट थमाया
और उससे आजादी ले ली
लेकिन उठ गया एक सवाल
देश में मच गया बवाल
सब एकदूजे से पूछ रहे है
क्या तुमने आजादी छिनी
क्या उसने आजादी छिनी
ये सच्चाई किसी ने नहीं मानी
जानकर सब अनजान थे
बस वही एक नादान थे
जो आजादी की शान थे
लेकिन नहीं थे जानते
आजादी यु गुमराह हो जाएगी
उन्नती सपनो में रह जायेगी

नेताजी ने भाषण सुनाया
एक ही नारा लगाया
देश में क्या कोई गुलाम है
भीड़ में से आवाज आई
हम भी आजाद है,वो भी आजाद है
उसे भूखे रहने की आजादी है
हमें भूख मिटाने की आजादी है
नित नए कपडे हमारे पास है
उसे कुछ कपड़ो की आस है
कोई आशियाना ना उसके पास है
जीने का जज्बा उसका खास है
गरीबी का उसे कोई गम नहीं
लेकिन आँखों में उनकी शरम नहीं
जिन्होंने इनकी आजादी को छिना है

अब चुप नहीं रहना है
सूरज का यही कहना है
सबको रोटी,कपडा और
मकान मिले,वही सपनो
का सुनहरा हिन्दुस्तान मिले

जय हिन्द

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh