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तड़पता पंछी-मिल गई जिन्दगी

हम हिन्दुस्तानी
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सिर्फ इंसान ही नहीं जीव जन्तुओ को भी जीने का अधिकार है और मुसीबत में उनकी जान बचाने से पीछे नहीं हटना चाहिए.यह सन्देश मिलता है उस चार वर्षीय बालिका की सतर्कता को देखकर,जिसकी वजह से एक बेजुबान तडपते पंछी की जान बच पाई.यह घटना हैदराबाद की है,जिसमे एक कौवा पतंग के मांजे में इस कदर फंस गया की तीन चार दिन तक वो उसी पेड़ पर लटकता रहा.संक्रात हो या आम दिन पिछले कुछ सालो से हमारे देश में चाइना के मांजे को जमकर प्रयोग में लाया जा रहा है.तार की तरह कटीला रहनेवाला ये मांजा बेजुबान पंछियों की जान का दुश्मन साबित हो रहा है.आये दिन पंछी इसमें फंसकर अपनी जान गवा देते है.इसी तरह एक कौवे के पंखो में ये चाइनीज मांजा इस कदर उलझ गया की भरी धुप में कई घंटो तक वह तड़पता रहा,लेकिन उस पर किसी की नजर नहीं पड़ी.मगर छत पर खेल रही चार वर्षीय वंशी तिवारी नाम की इस बालिका ने उसके माता पिता को ये दृश्य दिखाया,लेकिन जिस पर कौवा लटका हुआ था,वह पेड़ काफी ऊँचा रहने से उसे वहा से निकालना मुश्किल था,लेकिन जब बच्चे जिद पर अड़ते है तो किसी की नहीं सुनते,यह तो सब को पता है.वंशी भी उसके पिता से कहने लगी की पापा किसी भी तरह उस कौवे को निकालो.लेकिन उसे निकालना मुश्किल बताकर उसे समझाने की कोशिश की.
लेकिन जब वंशी के पिता रात में सोने की कोशिश कर रहे तो नींद नहीं लग रही थी.आँखों के सामने जिन्दगी के लिए तरसते उस कौवे का दृश्य नजर आ रहा था.उसे आखिर किस तरह बचाया जाए,ये सोंचते सोंचते जीव जन्तुओ के लिए काम करनेवाली संस्थाओ का ख़याल आया.साथ ही भगवान् से प्रार्थना की की सुबह होने तक कौवे को कुछ ना हो,ताकि कोई ना कोई उपाय किया जा सके.वंशी के पिता ने सुबह होते ही बाहर निकलकर देखा तो नजर आया की कौवा अभी भी तड़प रहा था.इसके बाद तुरत एक्शन में आते हुए इंटरनेट पर सर्च किया तो ब्लू क्रास वालो का नंबर मिल गया.काफी देर कोशिश के बाद उनसे संपर्क हो पाया तो उन्होंने पता नोट करने के बाद बताया की उनके वालेंटर को जैसी ही समय मिलेगा,वो पहुँच जायेंगे.समय बीतने के साथ ये चिंता बढ़ रही थी की इतनी देर वो जिन्दा रह पायेगा की नहीं.कुछ देर बाद फिर उन्हें फोन किया.दूसरी ओर से कुछ देर में आने का आश्वासन मिला.लेकिन ये यकीन नहीं हो रहा था की आम तौर पर जानवरों में कुत्तो के लिए तो कुछ संस्थाए सहायता उपलब्ध कराती है,मगर एक कौवे के लिए वे यहाँ आयेंगे.लेकिन उस समय ये विश्वास बढ़ गया जब नागुला कृष्ण नामक व्यक्ति ने फोन कर पता पूछा और अपने एम्बुलेंस के साथ घटना स्थल पर आ पहुंचा.उसने रस्सी फेंककर उस डाल पर डालने की कोशिश की जिस पर वो कौवा था.लेकिन सफल नहीं हो पाया.कुछ समय पहले जो लोग उस कौवे को नहीं देख रहे थे उनकी भी नजर इस कारवाई पर पड़ने के बाद सबकी उत्सुकता बढ़ते जा रही थी.तक़रीबन एक घंटे की मशक्कत के बाद रस्सी उस डाल में फंस गई.जैसी ही उसे दो तीन बार खिंचा गया,कौवा निचे आ गिरा.उसे तुरंत वंशी के परिवार ने पानी पिलाया गया.उसके बाद कृष्ण ने उसके पंखो से मांजा निकाला और फिर एक इंजेक्शन दिया गया.कृष्ण ये कहकर उस कौवे को एम्बुलेंस में रखकर रवाना हो गया की उसकी तबियत ठीक होने तक ब्लू क्रास की देख रेख में रहेगा.आखिर कौवे की जान बचने से सबने राहत की सांस ली और वंशी को बधाई दे रहे थे,अगर उसकी नजर नहीं पड़ती और वो उसे निकालने की जिद नहीं करती तो एक बेजुबान पंछी अपनी जान गवा देता.null

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