Menu
blogid : 368 postid : 113

ऐशो आराम चाहिए-चलो बाबा बन जाओ (जब धरती पर आये भगवान- भाग-4 )

हम हिन्दुस्तानी
हम हिन्दुस्तानी
  • 44 Posts
  • 110 Comments

जागरण के मंच पर सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार.लम्बे समय के बाद यहाँ कुछ लिख रहा हु..पिछले पांच महीनो से मेरी मासिक पत्रिका प्रकाशित करने में व्यस्त हु.उसीमे प्रकाशित यह व्यंग आप सब के लिए प्रस्तुत कर रहा हु.इच्छुक दोस्त अपने लेख मुझे vishwa .rakshak @ hotmail .com पर भेज सकते है.धन्यवाद.
ऐशो आराम चाहिए-चलो बाबा बन जाओ (जब धरती पर आये भगवान- भाग-4 )
-नारायण नारायण कहते नारद मुनि इस बार भगवान विष्णु के साथ एक एक ऐसे मैदान में आ पहुंचे है,जहा भारी भीड़ लगी है और उनके सामने मंच पर साधुओवाले वस्त्र धारण किये पति-पत्नी सोने के सिंहासन पर विराजमान है और लोगो को उपदेश दे रहे है की इन्सान का जन्म भक्ति के मार्ग द्वारा मुक्ति पाने के लिए ही होता है.इसलिए हमें भोगविलास में ना पड़कर आराधना में जीवन बिताना चाहिए.हमारी आराधना करोगे तो मुक्ति मिलेगी.हमारे भीतर ही सभी देवता वास करते है.इसलिए हम ही परम परमात्मा है.हमारे दर्शन से ही सबके दुःख दूर हो जायेंगे.हमारे चरण स्पर्श से ही सातों जन्मो का मोक्ष मिल जायेगा.ये उपदेश सुनकर नारद जी का सिर चकरा जाता है और वे कहते है प्रभु ये साधारण इन्सान अगर भगवान है तो आप कौन है?अगर धरतीवासी इनकी आराधना करेंगे तो आपकी पूजा अर्चना कौन करेगा?यह सुनकर भगवान विष्णु बोले नारद जी आप व्यर्थ चिंतित हो रहे हो.नारदजी कहते है नहीं प्रभु आप देखिये लोग किस तरह इस साधारण से साधू को भगवान मान बैठे है.चलिए हम भीतर चलकर इस धरती के भगवान की लीला को समझने का प्रयास करते है.जैसे ही नारदजी और भगवान विष्णु इस पंडाल के भीतर जाने की कोशिश करते है तो उनके चेले उन्हें रोक लेते है.उन्हें बताते है की भीतर जाना है तो पंजीकरण के लिए 5 हजार रूपये,चरण स्पर्श करने है तो 15 हजार रूपये और पूजा करनी है तो 25 हजार रूपये,आजीवन सदस्यता लेनी है तो एक लाख रूपये देने पड़ेंगे.यह सुनकर नारादजी कहते है महोदय साधू और महात्माओ के दर्शन के लिए धन की क्या आवश्यकता है?मोहमाया त्यागने का उपदेश देनेवाले अगर इस तरह धन का लालच करेंगे तो वो न साधू है न भगवान ?नारायण नारायण प्रभु ये क्या हो रहा है भारत की इस पुण्यभूमि में?
तभी घोषणा होती है की स्वामी भगवान की हवाई जहाज का समय हो गया है और उन्हें अपने विदेशी भक्तो को प्रवचन के लिए रवाना होना है.पंडाल के बाहर एक आलीशान कार आती है और स्वामीजी उसमे बैठकर रवाना हो जाते है.यह देख दांग हुए नारद जी कहते है चलो प्रभु यहाँ से अपने लोक चलते है.आपने जिस इन्सान को इस धरती पर भेजा वही आपको ठगने में लगा है.दोनों टहलते हुए जा रहे है तभी उनकी नजर एक रैली पर पड़ती है.जिसमे नेताजी के साथ एक स्वामी है जो लोगो को अपने भाषण में नेताजी को वोट देने की अपील कर रहा है.तभी नारदजी वहा खड़े पत्रकार से पूछते है भाई क्या ये साधू भी चुनाव लडेगा.पत्रकार हँसते हुए कहता है की ‘महोदय शायद आपको पता नहीं यहाँ स्वामी चुनाव लड़ते भी है और गल्ली से लेकर दिल्ली तक की सरकार को प्रभावित भी करते है.हमारे देश में लोग इतने भावुक है की साधारण साधुओ को भगवान समझकर अपना सब कुछ लुटा देते है और नेताओ का कालाधन रखने के लिए भी ये स्वामी लोग सुरक्षित जगह बन गए है.क्या आप देखते नहीं किस तरह साधुओ के पास से करोडो रूपये मिलने की खबरे आ रही है.किस तरह साधू लोग विलासिता भरा जीवन जी रहे है.एक तरफ इस देश को गरीब कहा जाता है तो दूसरी तरफ देश में इन साधू सन्यासियों के पास अपार संपदा छिपाकर रखी गई है.क्यों सरकारे इनके इशारो पर काम करती है.आम लोगो से कुछ गलती हो जाये तो उन्हें सरकार हो या पुलिस सभी परेशान करते है,मगर साधुओ के मामले में सभी की मिलीभगत नजर आती है.”
पत्रकार की ये बाते सुनकर नारदजी भगवान विष्णु से कहते है प्रभु अगर इन्सान को सदमार्ग दिखानेवाले साधू संस्यासी इस तरह भोग में लिप्त होकर रहेंगे तो इस देश का युवा और आम इन्सान का जीवन किस तरह सुधरेगा.यह सुनकर भगवान विष्णु मंद मंद मुस्कुराते हुए कहते है मुनिवर मैंने पहले भी आपको यही कहा अभी भी यही कहूँगा की आप इस कलियुग में हो रहे गलत आचरणों से विचलित ना हो,यहाँ इन्सान जो भी कर्म करेगा उसे उसका फल इसी जन्म में भोगना पड़ेगा.जहा तक साधुओ की बात है उन्हें ऐसा आचरण करना चाहिए की गुमराह की दिशा में जा रही आज की पीढ़ी को सदमार्ग दिखाना चाहिए और स्वयं भी मुक्ति की राह पर चले.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh