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जिन्दगी के रंग-ना हो बदरंग -HOLI CONTEST

हम हिन्दुस्तानी
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घर परिवार हो,समाज हो या हमारा देश सभी जगहों की गतिविधिया जिन्दगी से जुडी है और ये जिन्दगी तभी सतरंगी खुशियों से रंगीन व खुशहाल हो सकती है जब इसके अलग अलग रंग हमें जीवन की सही राह पर ले जाये,लेकिन अगर हम गुमराह हो जाये तो ये जिन्दगी बदरंग हो जाएगी,जिससे हर किसी को बचने की आवश्यकता है.अब आप ये कहेंगे की मै होली के इस रंगारंग माहौल में कहा आदर्शवादी विचारो की घुट्टी पिलाने में लगा हु,तो मै ये साफ कर दू की जब तक इस घुट्टी को हर कोई नहीं पिएगा तब तक उन रंगों का मजा भी नहीं आएगा.होली के लाल,पीले,नीले,हरे,गुलाबी चाहे जो रंग हो ख़ुशी के रंगों के बिना उनकी कोई कीमत नहीं हो सकती.होली में लगाये जानेवाले रंग तो कुछ समय बाद धुल जाते है,लेकिन प्यार के रंग अमिट होते है,उन्हें कोई भी साबुन नहीं मिटा सकता.मगर नफरत का रंग ऐसा जख्म होता है जो कुछ समय बाद भले ही चला जाए,मगर उसका दाग जिन्दगीभर उन कडवे पलो की याद दिलाता है.

होली का ये मौका आज उस परिवार के लिए बदरंग और फीका साबित होगा जिसके परिवार को नफरत के काले रंगों ने धुंधला बना दिया है.यहाँ मै बात उन लडकियों की कर रहा हु,जिनकी अपरिपक्व मानसिकता और स्वार्थ की भावना से संयुक्त परिवार टूटते जा रहे है.पता नहीं क्यों ज्यादातर माता-पिता शादी के कुछ दिनों के बाद ये चाहने लगते है की उनकी बेटी को सास-ससुर का बोझ ना उठाना पड़े और वो उनसे अलग हो जाए.अगर एक बेटा हो तो माता-पिता को तो कोई दूसरा सहारा भी नहीं होता.मगर दो बेटे हो और उन्हें इन पारिवारिक विवादों के बाद अलग रहने को मजबूर होना पड़े तो ऐसे में उन भाइयो की हालत क्या होगी जो २०-२५ सालो से साथ रहे है.एक दुसरे से अलग रहना उनके लिए कितना दर्दनाक होगा.यही हालत माता-पिता की भी होती है.यही नहीं जिनके घर में बेटा नहीं होता वे जवाई को उसके परिवार से अलग कर अपनी जिन्दगी का सहारा बनाने के लिए अपनी बेटी को मोहरा बना लेते है और वैसे माहौल में पली वो लड़की भी इन रिश्तो के मधुर रंगों में जहर घोलने का काम करती है और जिन्दगी को बदरंग बना देती है.

अब बात करते है उन युवाओ की जो प्यार के रगों में पहले रंग तो जाते है.बाद में जब अहंकार की टक्कर होती है उसे प्यार से दूर करने के बजाय अपनी चाहत को ही नफरत के रंगों और बदनामी के रंगों की कालिख से बर्बाद करने पर तूल जाते है.यहाँ पर उस लड़की की चर्चा कर रहा हु,जिसने अपने अभिनेता पिता की फिल्मो से प्रेरणा लेकर उनसे ही बगावत करकर सारी दुनिया के सामने शादी रचाई.प्यार के रंगों में इतना डूब गए की एक बच्चे को भी जन्म दिया,मगर कुछ समय बाद जब आपस में अहम् टकराने लगा तो पति और ससुरालवालों पर कानून का दुरूपयोग करते हुए मामले दर्ज करवा दिए.उस लड़की को पैसे की क्या कमी है जिसका पिता करोडपति अभिनेता और अब राजनेता है.उस लड़की द्वारा ससुरालवालो पर दहेज़ प्रताड़ना का मामला दर्ज कराना कितना हास्यस्पद है.अब उस लडकी का प्यार कहा गया जब वो अपने बच्चे के पिता को बदनामी के रंगों से भरकर जेल भेजने पर तुली है.इन मामलो को बताकर मै यही कहना चाहता हु की प्यार और रिश्तो के रंगों को यु बदरंग ना होने दिया जाए.

परिवार और समाज के इन बदलते रंगों के साथ अब उन रंगों को देखा जाये जो हमारे देश से जुड़े है. आये दिन देश भ्रष्टाचार के काले रंगों में डूबता जा रहा है.जीने के लिए जितने धन की आवश्यकता हो हर व्यक्ति को उतना ही धन अपने पास रखना चाहिए.चाहे वो नेता हो या उद्योगपति,लेकिन अतिस्वार्थ में यह लोग देश को उन्नति की राह में ले जाना छोड़ दुर्गति के सागर में डुबो रहे है.गरीब और मध्यम वर्ग का जीवन सिमटी हुयी खुशियों के रंगों तक ही सिमित है.उधर देश में हो रही आंतरिक हिंसा हो या बाहरी हिंसा खून के रंग से ये धरती लाल हो रही है.राजनितिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण हमारा देश विकास और उन्नति के रंगों के उस सतरंगी आसमान को नहीं छु पा रहा है.लेकिन हर हिन्दुस्तानी को इसके लिए अपना योगदान देने की जरुरत है.ताकि जिन्दगी में प्यार और मिठास के रंगों की बरसात हो.

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