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जब धरती पर आये भगवान-भाग-३

हम हिन्दुस्तानी
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भगवान विष्णु और नारद जी अब प्रगट हुए है संसद के भीतर,पत्रकारों की गैलरी में,जहा से संसद की कार्यवाही देख रहे है.जिसमे सांसद एक दुसरे पर चिल्लाते हुए कागज उछाल रहे है.फिर कुछ देर में सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष के पास जाकर शोर शराबा करते देख रहे है.यह सब देखने के बाद नारद जी से रहा नहीं जाता और वे पास में ही बैठे एक पत्रकार से आखिर पूछ ही लेते है की भाई साहब ये लोग इतना अभद्र व्यवहार क्यों कर रहे है ?पत्रकार उनकी ओर देखकर कहता है कहा से आये हो भाई,पत्रकार होकर ये नहीं जानते की ये हंगामा यहाँ रोज की बात है.नारद जी कहते है,जी मै नया नया पत्रकार बना हु,इसलिए आपसे जानना चाह रहा था की इन्हें तो यहाँ जनता की समस्याओ पर चर्चा करने और उन्हें सुलझाने के लिए भेजा जाता है न ?(यहाँ मै ये बता दू की समस्त लोको में नारद जी पहले पत्रकार है और आज के पत्रकार काम वही कर रहे है,मगर उनके रंग ढंग अलग-अलग है )
इनकी बाते सुन पत्रकार बोला ये अगर जनता की समस्याए सुलझाएंगे तो इनकी उन्नति कैसे होगी ?इनकी अगली और पिछली पीढियों का उद्धार कैसे होगा ?यहाँ तो ये लोग सिर्फ अपने आपको जनता का हितैषी दर्शाने के लिए मुद्दे उठाते है ओर किसी तरह टाइम पास करने के लिए हंगामा मचाते है.बाहर निकलकर मिलकर जनता का खजाना लुटते है.
पत्रकार की बाते सुन नारद जी कहते है फिर आप लोग क्यों नहीं इनके खिलाफ आवाज़ उठाते ?ये सुनकर पत्रकार गुस्से में आ जाता है और कहता है कौन उठाएगा आवाज? यहाँ तो सब व्यापार करने बैठे है और सब आपस में मिलकर खाते है.यहाँ असली पत्रकार है कहा ?बड़े बड़े व्यापारी पत्रकारों के रूप में चैनल और अखबार रूपी दुकाने खोलकर बैठे है.हम जैसे छोटे पत्रकार सिर्फ अपना गुजारा चलाने के लिए इनके इशारो पर नाचते है.अगर आवाज उठाएंगे भी तो इस तरह दबा दिया जाएगा की हमारा पता तक किसी को नहीं मिलेगा.इन बातो को सुन नारद जी ने कहा प्रभु ये क्या हो रहा है?यहाँ पत्रकारों को मेरा वंशज माना जाता था,लेकिन इन लोगो ने मेरे कार्य को स्वार्थ सिद्धि का हथियार ही बना लिया.भगवान विष्णु बोले मुनिवर ये बड़े चिंता की बात है की आप अकेले ऐसे पत्रकार हो की समस्त लोको के कल्याणार्थ ही इधर की खबरे उधर बताते हुए सब का भला चाहते हो,मगर यहाँ धरती पर लाखो पत्रकार रहकर भी अपने देश के लिए कुछ नहीं कर रहे है.नारद जी ने फिर उस पत्रकार को सवालो से परेशान करते हुए पूछा इन्हें जनता चुनती है तो उसका थोडा तो भला करना चाहिए.पत्रकार बोला आज नेता और मंत्री वही बनता है,जिसके पास करोडो रूपये हो.पैसा हो तो यहाँ सब बिकता है.वोट खरीदना कौन सी बड़ी बात है?जो पढ़े लिखे है या समझदार है वो ये कहकर जिम्मेदारी से बचते फिरते है की सब भ्रष्ट है तो मेरा वोट क्यों व्यर्थ करू.ऐसे में तो फिर ऐसे ही नेता चुने जायेंगे.जहा तक उनके मंत्री बनने का सवाल है तो क्या आपने नीरा राडिया का नाम नहीं सुना किस तरह बड़े बड़े पत्रकारों की मिलीभगत से देश के बड़े मामले फिक्स होते है.ये सारी बाते सुन नारद जी बोले सही कहा आपने जब देश को बचानेवाले हाथ ही लुटने लग जाये तो बाहरवाले तो आसानी से इसे लुट सकते है और ये देश फिर से किसी देश का गुलाम होने में देर नहीं लगेगी. चलते है भाई नमस्कार कहकर नारद जी और विष्णु जी वहा से निकल पड़े.नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा प्रभु देश के राजा की और ज्यादतर प्रजा की तो ये हालत है.ऐसे में साधू संत तो इन्हें सही राह दिखा सकते है.वो अपनी धरती के लिए आखिर क्या कर रहे है ये भी हमें देखना चाहिए. शेष भाग ४ में……….

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