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मित्रो इस विषय पर आप सब की प्रतिक्रिया चाहता हु.कहा जाता है की न्याय में देरी भी अन्याय के बराबर होता है.लेकिन ये तो सबको पता है की हमारे देश में न्याय मिलने में सालो गुजर जाते है.इस दौरान अपराधी खुले आम घूमता है और पीड़ित अदालतों के चक्कर काटते हुए अपना सब कुछ लुटा देता है.ऐसे कई ज्वलंत मामले देश ने देखे है,जिसमे अदालतों के फैसले आने में सालो बीत गए.जबकी ऐसे मामलो में त्वरित न्याय की दरकार होती है.अब इन हालातो में गरीब और मध्यम वर्ग की स्थिति को तो कोई पूछनेवाला ही नहीं होता.ऐसे में यह सवाल उठता है की क्या न्याय सिर्फ संपन्न वर्गो तक ही सिमित रह गया है ?मेरे इस सवाल के जवाब में कुछ लोग ये तर्क दे सकते है की संपन्न वर्गो के भी कई मामले ऐसे है जिनमे आरोपी सजा काट रहे है और काट चुके है.मगर इसके लिए राजनितिक हालत भी काफी हद तक जिम्मेदार होते है.इस बात को तो सभी स्वीकार करेंगे की राजनीति का हस्तक्षेप आज हर क्षेत्र में गहराई तक हो रहा है.मै यहाँ न्याय व्यवस्था पर कोई सवाल नहीं उठा रहा हु,बल्कि ये जानना चाहता हु की क्या हमारे देश में न्याय बिक रहा है ?मेरे मन में यह जिज्ञासा या चिंता होने के पीछे २ जी स्पेक्ट्रम का वो घोटाला है,जिसमे विवादास्पद आरोपी नीरा राडिया की देश के प्रमुख पत्रकारों और नेताओ के बीच हुई बातचीत है.जब मैंने सबसे तेज तर्रार कहे जानेवाले चैनल के नामी चेहरे प्रभु चावला और नीरा राडिया की बातचीत के अंश पढ़े तो मेरे तो होश उड़ गए.उसमे प्रभु चावला द्वारा नीरा राडिया को बताया गया है की सुप्रीप कोर्ट के फैसले को फिक्स करना कोई बड़ी बात नहीं है.
क्या देश को लुट रहे भ्रष्टाचारियो का जाल इतना फ़ैल गया है की वो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रभावित कर सकते है ?इस बातचीत में प्रभु चावला नीरा राडिया को ये भी बता रहे है की चीफ जस्टिस को पटाना है तो किसे मिलना चाहिए.कुछ मामलो में ये देखा गया है की निचली अदालते या जज किस तरह प्रभावित होते है.मगर देश का सर्वोच न्याय स्थान अगर प्रभावित होता होंगा तो जो लोग अंतिम न्याय की उम्मीद उससे लगते है.वो लोग कहा जाये ?उनकी गुहार कौन सुनेगा ?अगर इस देश में बड़े उद्योग घरानों और सरकार के हिसाब से देश की हर प्रणाली और मंत्रालय चलेंगे तो आम लोगो की सुध आखिर कौन लेगा ?बात बात पर हम सरकार और नेताओ को दोष देते है.मगर ऐसे भ्रष्ट नेताओ को कौन चुन रहा है ?हम ही ना,क्यों ना हम संपन्न वर्गो को जनप्रतिनिधि के रूप में चुनना बंद ही कर दे.क्यों ना हम वोटिंग प्रक्रिया को एक फार्मालिटी समझना छोड़कर एक जिम्मेदारी और कर्तव्य के रूप में अपनाये.क्यों ना हम ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रो के वोटरों को अपने वोट का महत्व समझाकर उसे बेचने की अवैध गतिविधि पर रोक के लिए जागरूकता अभियान चलाये.ये सारी चीजे मेरे जैसे अकेले इंसान के बस की बात नहीं है.बल्कि हम सब को इसके लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता अब आन पड़ी है.अगर हम हिन्दुस्तानी लोग समय रहते नहीं जागे तो आनेवाले दिनों में हमारे अधिकारों की रक्षा करनेवाला हमें कोई भी नहीं मिलेगा.मेरी इन बातो को पढ़कर कई लोग यह कह सकते है की इस गंदगी को हम क्यों साफ़ करने की कोशिश करे ?तो फिर कौन करेगा ? जिस तरह हम जिस घर में रहते हुए उसे साफ़ और स्वच्छ रखते है.ताकि हम और हमारा परिवार बीमार ना पड़े.उसी तरह ये देश भी हमारा घर हमारी जन्मभूमि है.अगर उसे हमने इस गंदगी से नहीं बचाया तो इसे ऐसी गंभीर बीमारिया(वाइरस ) जकड लेगी.जिसकी चपेट में हर भारतीय जरुर आएगा.फिर हम क्या करेंगे ………………..?जय हिंद
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