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धरती के हालात देखने भारत की भूमि पर पहुंचे भगवान् विष्णु और नारद जी खून से सनी कश्मीर की भूमि देखने के बाद अब प्रगट हुए है देश की राजधानी दिल्ली में,जहा नारद जी ने एक व्यक्ति को संसद का पता पूछा तो उसने पहले तो उन्हें कई सवाल पूछते हुए बातो में उलझाया फिर पता बताकर निकल गया.उसके जाने के बाद नारद जी ने भगवान् विष्णु से कहा प्रभु बड़ी भूख लगी है धरती के भोजन का आनंद लेते है.दोनों एक भोजनालय के पास पहुंचे तो नारद जी ने कहा ये क्या प्रभु मेरे साथ जो स्वर्ण मुद्राए थी वो गायब हो गई है और मुझे लगता है कही उस पता बतानेवाले व्यक्ति ने चुरा ली है.इसीलिए तो वो इतनी बाते कर रहा था और बातो बातो में मुझे ही ठग लिया तो आम लोगो का क्या हाल होता होगा. विष्णु जी बोले हे नारद तुम चिंता न करो यहाँ पर हमें कुछ खरीदने के लिए यहाँ की मुद्रा खर्च करनी पड़ेगी.एक सावकार को स्वर्ण मुद्राए देकर मैंने वह ले ली है,अब चलो भोजन करते है.दोनों एक भोजनालय में भोजन करने के बाद जैसे ही बाहर निकले तो दोनों को उल्टिया होने लगी. तो नारद जी ने कहा प्रभु ये क्या हो रहा है भोजन तो बड़ा स्वादिष्ट था फिर ये उल्टिया क्यों हो रही है.मुनिवर जिन वस्तुओ से ये भोजन बना था उन सब में नकली पदार्थो का उपयोग हुआ है.मुझे ये पता था लेकिन आप ही यहाँ का स्वाद चखने की जिद कर रहे थे.यह सुनकर नारद जी बोले प्रभु मुझे अब समझ में आया की यमलोक में धरतीवासियो की संख्या लगातार क्यों बढ़ रही है.यम धर्मराज बता रहे थे की बहोत से मानव वक्त से पहले उनके लोक पहुँच रहे है.हर वस्तु में ऊपर से खाने की वस्तुओ में भी इस तरह मानव मिलावट करेगा तो इस धरती का अस्तिव जल्द ही समाप्त हो जायेगा.
दोनों बाते करते हुए जा ही रहे थे की नारद जी ने देखा कुछ लोग एक गाडी से बंदूके लेकर उतरे और एक लड़की को जबरन उसमे बिठाकर जाने लगे.वो लड़की जोर जोर से चीखते हुए बचाने की गुहार लगा रही थी.नारद जी ने कहा प्रभु ये देखिये उस अबला को वो लोग किस तरह अपहरण कर ले जा रहे है.इतने सारे लोग वहा खड़े है,मगर कोई बचाने की कोशिश तक नहीं कर रहा है.नारायण-नारायण हे प्रभु ये मानव को क्या हो गया है.यह कहते हुए नारद जी वहा पहुँच गए और वहा खड़े लोगो से पूछा आप लोग इतने निर्दयी कैसे हो किसीने उस लड़की की मदत तक नहीं की,यह सुनकर उनमे से एक बोला ऐसी घटनाये यहाँ रोज होती है.पुलिस और कोर्ट के लफड़े में कौन पड़ेगा.इतनी बाते करनेवाले आप कौन हो ?आप क्यों नहीं बचाते ?यह सुनकर नारद जी विष्णु जी के पास पहुंचे और कहा प्रभु देखा आपने किस तरह मानव खुले आम पाप कर रहा है और उसे बाकि लोग मूक-दर्शक बनकर देख रहे है.विष्णु जी बोले चिंता मत करो मुनिवर जो करेगा उसे इसी धरती पर भरना भी पड़ेगा और जिस लड़की का अपहरण हुआ था वो अपने घर पहुँच गई है और जिन्होंने अपहरण किया उन्हें भी हमने योग्य दंड दे दिया है.नारद जी बोले प्रभु आप की महिमा अपरम पार है,लेकिन मुझे लगता है की अब आप को धरती पर अवतार लेने का समय आ गया है.दोनों संसद के निकट पहुंचे ही थे की एक जोरदार धमाके की आवाज आई.वहा काफी भगदड़ मच गई.भागते एक व्यक्ति ने इन दोनों से कहा आप लोग यहाँ खड़े क्यों हो जल्दी निकलो यहाँ से बम ब्लास्ट हुआ है,कई लोगो की मौत हो गई है.यह सुनकर नारद जी काफी डर गए और विष्णु जी से कहा प्रभु चलिए हम अपने लोक चलते है.यह सुनकर भगवान् विष्णु हसने लगे और कहा मुनिवर धरती पर आकर आप भी मानवों जैसा व्यवहार करने लगे,क्या आप भूल गए की कौन से लोक से आये हो,ये तो मृत्युलोक है,यहाँ जिसने जन्म लिया है,उसकी मृत्यु तो होनी है.जितना पाप बढेगा,उतनी अशांति और विध्वंस तो मानव को झेलना ही पड़ेगा. नारद जी बोले लेकिन प्रभु ये तो वक्त से पहले मानव यमलोक सिधार रहा है.इस तरह के धमाके ये अन्याय ही तो है.इसे कौन रोकेगा ?ये तो राजा का काम है कहते हुए भगवान विष्णु बोले चलो मुनिवर हम राजा का कामकाज देखते है की आखिर वो अपनी प्रजा की सही देखभाल क्यों नहीं कर पा रहा है…………शेष भाग ३ में…….जय हिंद
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