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जनप्रतिनिधि या जनविरोधी है ये नेतागण ?

हम हिन्दुस्तानी
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पिछले १३ दिनों से विपक्ष ने संसद की कार्यवाही को ठप्प कर रखा है.इसका मुख्य कारण उनकी इस मांग को सरकार द्वारा ठुकराना की २ जी घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाये.मै ये नहीं कहता की उनकी ये मांग गलत है या उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है.मेरा विपक्ष से ये सवाल है की जिस तरह भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज उठाई गई और दूरसंचार मंत्री राजा को हटाने की मांग की गई,उसी तरह जब भ्रष्टाचार के आरोपों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा फंसे तब ये मांग जोर शोर से क्यों नहीं उठी ?उन्होंने अपने बेटे और बेटी को सरकारी अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए फ़्लैट दिलाये.क्यों मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर दोहरी नीति अपना रहा है ?क्यों उन्हें इन आरोपों के बावजूद पद पर बने रहने के लिए कहा गया ?नैतिकता का सवाल क्या सिर्फ सत्ताधारी दल के लिए ही लागू होता है ?मेरी मंशा यहाँ पर कांग्रेस का पक्ष लेने की कतई नहीं है.लेकिन जो नेता और दल दुसरो पर आरोप लगा रहे है वो क्या दूध से धुले है ?जब वो सत्ता में थे तब क्या उन्होंने अपने नजदीकी लोगो को फायदा नहीं पहुँचाया ?भ्रष्टाचार ने राजनीति को इस तरह प्रदूषित किया है की सत्ता में आते ही इस ऐशो-आराम की गंगा में हर कोई डुबकी लगता है. जो दौलत वे चुनाव के समय लुटाते है,सत्ता में आने के बाद उसे ब्याज सहित इस हद तक कमा लेते है की उनकी अगली पिछली सभी पीढियों का उद्धार हो जाता है.
कुल मिलाकर मेरा यही सवाल है की क्या संसद की कार्यवाही चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ सत्तापक्ष की है ?पिछले १३ दिनों से ये कार्यवाही ठप्प होने से जो लगभग १०० करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है उसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है ?जनता के धन को इस तरह बर्बाद करना कौन सी राजनीति का हिस्सा है और क्या जनप्रतिनिधि इसीलिए चुने जाते है की वे जनता का धन इस तरह अपनी अडयल मांगो को पूरा करने के लिए बर्बाद करे ?क्या इसे विपक्ष की दोहरी नीति नहीं कहा जा सकता ?अगर विपक्ष की इस मांग को मानकर संयुक्त संसदीय समिति बना भी दी जाये तो क्या गैरंटी है की वो सही रिपोर्ट देगी ? जब सभी एक ही समंदर की मछलिया है तो उससे बाहर कौन जायेगा ?विपक्ष ने सर्वोच न्यायालय की निगरानी में सी.बी.आई की जांच की मांग को भी ठुकरा दिया.तो मेरा ये सवाल है की क्या विपक्ष को हमारे देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास नहीं है ?इस मुद्दे पर लगातार सर्वोच न्यायालय केंद्र सरकार की खिंचाई कर रहा है और जिम्मेदार लोगो के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश भी दे रहा है.ऐसे में विपक्ष द्वारा वर्तमान जांच से संतुष्ट नहीं होना किस हद तक सही है ?आखिर में यही कहूँगा की ये पब्लिक है ये सब जानती है और जब तक हमारा शिक्षित और अशिक्षित वर्ग जागरूक नहीं होगा तब तक ये तस्वीर बदलना मुश्किल है……………. जय हिंद

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