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धुम्रपान की गुजारिश करती ऐश्वर्या

हम हिन्दुस्तानी
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विश्व सुंदरी रह चुकी ऐश्वर्या राय लाखो दिलो की धड़कन कही जाती है.इसमें भी कोई शक नहीं है की वह एक बेहतरीन अदाकारा है और इस रूप में मै खुद भी उनका प्रशंसक हु.लेकिन जब ऐसा कलाकार जिसे काफी हद तक युवा पीढ़ी अपना प्रेरणा स्त्रोत मानती है वह कोई ऐसा काम कर दे जो समाज पर दुष्प्रभाव छोड़े तो काफी निराशा होती है.शीघ्र ही रिलीज होनेवाली फिल्म गुजारिश में ऐश्वर्या राय को धुम्रपान करते दिखाया गया है,जो की निसंदेह आपत्तिजनक बात है.क्योंकि धुम्रपान से होनेवाले दुष्प्रभावों को देखने के बाद सार्वजनिक रूप से धुम्रपान को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था.हालांकि हमारे देश में कानून बनते ही उसे तोड़ने के तरीके भी बन जाते है और इस कानून को भी बड़े ही शान से हर जगह धुएं में उड़ाया जा रहा है.चाहे वह सरकारी कार्यालय हो या निजी कार्यालय,और तो और इस कानून का जिन्हें पालन करवाना चाहिए,वे भी इसकी धज्जिया उड़ाते देखे जा सकते है. धुम्रपान के कारण कैंसर और हार्ट अटैक जैसी बीमारिया हमारे समाज में बड़ी ही तेजी से फ़ैल रही है,लेकिन धुम्रपान करनेवाले कहते है की मरना तो एक दिन सबको है,ऐसे में कल से क्यों डरे,जिन्दगी आज में जीना चाहिए.लेकिन इन लोगो से मेरा सवाल ये है की ऐसी जानलेवा आदतों से इस खुबसूरत जिन्दगी के पलो को कम करना कहा की समझदारी है ?ऊपर से हमारे समाज पर सबसे ज्यादा प्रभाव छोड़नेवाले सिनेमा उद्योग को तो ऐसी जानलेवा बीमारियों की कारक बननेवाली आदतों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए.
हमारे भारतीय समाज में महिलाओ को देवी का दर्जा देकर हर जगह उनका सम्मान किया जाता है और उन्हें ज्यादातर धुम्रपान करते हुए भी कम ही देखा जाता है.इस तरह की संस्कृति विदेशो में देखी जा सकती है.लेकिन भारतीय युवाओ की प्रेरणा कही जानेवाली ऐश्वर्य राय ने फिल्म गुजारिश में जो धुम्रपान का दृश्य दिया है वह क्या हमारी सभ्यता पर आघात नहीं है ?यह मुद्दा इन दिनों न्यूज चैनलों पर बहस का मुद्दा बना हुआ है.लेकिन इसका फिल्म निर्माताओ पर कोई प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं देता.लेकिन ऐश्वर्या राय की यह भूमिका देखकर उनके प्रशंसको और सामान्य दर्शक वर्ग पर क्या असर होगा ये सोचनेवाली बात है.हम हिन्दुस्तानी जिसे पसंद करते है उसके पद चिन्हों पर चलने की कोशिश करते है.लेकिन जब ऐसे गुमराह करनेवाले कदम होंगे तो हम हिन्दुस्तानी और हमारा समाज किस दिशा में आगे बढेगा यह कहा नहीं जा सकता.जिन्दगी कितनी खुबसूरत है ये उससे पूछो जो कही आखरी साँसे ले रहा है.गुजारिश इतनी है की उन साँसों को तुम मत छिनो जो सुकून की जिन्दगी जी रहा है.

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