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खो रहा है बचपन …….

हम हिन्दुस्तानी
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यह लेख मै सिर्फ इसलिए नहीं लिख रहा हु की आज बाल दिवस है.बल्कि इसलिए लिख रहा हु की हमारे देश में हर दिन बचपन खोते जा रहा है.आज का दिन तो सिर्फ नेताओ के लिए नेहरु जी का जन्मदिन मनाने का एक अवसर मात्र बनकर रह गया है.राजनितिक दल हो या स्वयसेवी संस्थाए सभी बाल अधिकारों की बाते बड़े ही जोर शोर से उठाते है,लेकिन उन्हें उनके पुरे अधिकार अभी तक नहीं मिले.सबसे पहले हम बात करते है टीवी सीरियल बालिका वधु की,जिसमे बाल विवाह के कुछ किस्से दिखाए गए.लेकिन हकीकत में देखा जाये तो राजस्थान में हर दिन एक लड़की बालिका वधु बनती है.हाल ही में जब मै राजस्थान के कुछ ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रो में पर्यटन के उद्देश्य से गया तब मैंने देखा की लड़का हो या लड़की कम उम्र में शादी करना यहाँ आम बात है.यहाँ तक की मेरे एक रिश्तेदार से मैंने इस बारे में पूछा तो उनका कहना था की ये यहाँ का रिवाज है.ऐसे में मेरा ये सवाल है की आज के हाईटेक युग में भी क्या ये पुराने रिवाज युही जारी रहेंगे ?महज ७ साल की लड़की को मैंने मौन व्रत करते देखा और जब उसके माता पिता से इस बारे में सवाल किया तो उनके पास कोई जवाब तक नहीं था.यहाँ पर पढाई के बजाय कम उम्र में शादी करना जरुरी समझा जाता है.क्योकि उनके दादा परदादा के ज़माने से यही परंपरा चली आ रही है.महिलाओ को यहाँ हमेशा घूँघट में रहना जरुरी होता है.साथ ही उन्हें धीमी आवाज में बात करनी होती है.इस तरह के कई बंधन यहाँ देखे जा सकते है,जिसे देखकर मुझे लगा मै किसी प्राचीन युग में लौट आया हु.देश के कई प्रान्तों में आज भी लड़की के जन्म को अभिशाप समझा जाता है.कई इलाको में तो लड़की का जन्म होते ही उसे मार दिया जाता है.आखिर ये क्रूरता कब तक जारी रहेगी ?यह सब देखकर हम समझ सकते है की हमारी सरकारे और समाज के मुखिया कहे जानेवाले लोगो ने किस हद तक जागरूकता का निर्माण किया है.इन ग्रामीण इलाको में अभी भी शिक्षा का अभाव और बेरोजगारी का बोलबाला काफी हद तक देखा जा सकता है.
अब बात करते है बाल मजदूरी की और ये भी अब आम बात हो गई है.रोजमर्रा के कामो में हर तरफ हम बच्चो को हलके से लेकर कठिन काम करते हुए देख सकते है.बच्चो के अधिकारों की अमलावरी के लिए कई योजनाये बनी है.लेकिन वे कितनी सफल होती है यह भी सर्वविदित है.बिहार हो या उत्तर प्रदेश या देश का कोई अन्य इलाका सभी जगहों पर बाल मजदुर देखे जा सकते है.और तो और मासूम बच्चो को हथियार थमाकर माओवादियों में तक शामिल किया जा रहा है.हमारे देश में बच्चो के प्रति हो रही उपेक्षा के कारण वे अपराधिक गतिविधियों में तक शामिल देखे जा सकते है.हम हिन्दुस्तानी हर मुद्दे पर सिर्फ बाते करते है पहल कोई नहीं करता,बल्कि हर मसले के लिए एक नेतृत्व को तलाशा जाता है.मगर जरुरत ये है की हर हिन्दुस्तानी को आगे बढ़कर नेतृत्व करने की आवश्यकता है.बाल मजदूरी बढ़ने के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं समाज के कई लोग जिम्मेदार है.इसलिए सभी प्रण ले की बाल मजदूरी को बढ़ावा देना बंदकर हर बच्चे को शिक्षा देने में हर हिन्दुस्तानी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.साथ ही कुरीतियों को बढ़ावा देना छोड़कर अच्छे समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए कोशिश करनी होगी.

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