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शहीदों का तेलंगाना

हम हिन्दुस्तानी
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आंध्र प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर आज फिर तेलंगाना समर्थक सडको पर उतर आये और स्थापना दिवस का विरोध जताते हुए काले झंडे लहराए.इस तरह के प्रदर्शन आंध्र में आनेवाले दिनों में होनेवाले भारी हंगामे के संकेत दे रहे है,दिसंबर के अंत में आनेवाली श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट तेलंगाना के अनुकूल न आने पर असहयोग आन्दोलन की चेतावनी तेलंगाना समर्थक दे रहे है.लेकिन मुख्य सवाल ये है की आखिर इन आंदोलनों का सिलसिला कब तक जारी रहेगा ? भारत में ये परंपरा है की मरनेवाले की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है,ऐसे में तेलंगाना की खातिर अब तक कई लोगो ने अपनी जान दे दी और इन सब की यही अंतिम इच्छा थी की जल्द से जल्द अलग तेलंगाना राज्य की स्थापना हो .क्या इस अंतिम इच्छा को पूर्ण नहीं किया जा सकता ?क्यों इस मुद्दे को नेताओ की राजनितिक रोटिया सकने के लिए बरसो से भुनाया जा रहा है ?एक नेता आमरण अनशन करता है तो केंद्र सरकार हिल जाती है और उसकी मांग पूरी करने की घोषणा कर देती है,लेकिन जब कई छात्र,किसान जैसे आम लोग जब अपनी जान तक दे देते है,मगर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.ऐसे में मेरा ये सवाल है की सरकार क्या सिर्फ राजनितिक नेताओ के लिए है?
जब भी कोई मांग उठती है और आन्दोलन होते है सबसे पहले तो उन्हें दबाने की कोशिशे की जाती है जब इसमें सफलता नहीं मिलती तो समीक्षा के नाम पर कमेटिया-आयोग बना दिए जाते है,जिनकी रिपोर्ट आने तक लम्बा अरसा गुजर जाता है और जब ये रिपोर्ट सरकार को मिलती है तो उसे अमल करने में बरसो बीत जाते है.इनके साथ साथ ये भी हथकंडा अपनाया जाता है की आन्दोलन करनेवाले नेता को कोई मलाईदार पद देकर मुद्दे को ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाता है,आज तक हमारे देश में ज्यादातर यही होता आया है.यहाँ तक की तेलंगाना मामले में भी एक नेता को इस कदर मैनेज किया गया की उसने अपने तेवरों को नरम कर लिया और सिर्फ दिखावे के लिए बयानबाजी की जाती है.लेकिन हकीकत ये है की इस आन्दोलन को जिन्दा रखने में छात्रों की अहम् भूमिका रही है.मगर उन्हें आखिर क्या तेलंगाना राज्य मिल पायेगा या अपनी इस इच्छा की गंभीरता दिखाने के लिए उन्हें इसी तरह अपने प्राणों की आहुति देने का सिलसिला जारी रखना पड़ेगा.ऐसे में क्या कोई इस सिलसिले को रोकने आगे आएगा ?क्यों की तेलंगाना की खातिर अब तक कई लोग शहीद हो गए और इन शहीदों का तेलंगाना कभी बन पायेगा या फिर राजनीति के चक्रव्यूह में फसकर तेलंगाना की मांग को ही शहीद कर दिया जायेगा.

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